>> Thursday, March 11, 2010

मैं वहां से धीरे से रपट लिया...........................................................आगे 
तभी मेरी नजर एक घोड़ी पर पड़ी जो उसी ओर जा रही थी जिस ओर वों परछाई 
उसी घोड़ी पर बैठ ली और मैं वों सब खूंखार मंजर देखता रहा और धीरे धीरे वों घोड़ी छोटी होती
 चली गयी और उसकी टापो की आवाज धीमी हो गयी 
और अचानक सब कुछ धुन्दला धुन्दला सा हो गया 
तभी एक तेज आवाज मेरे कानो मे गूंजी 
ट्रिन
ट्रिन
ट्रिन
ट्रिन
ट्रिन
ट्रिन
ट्रिन
ट्रिन और मेरी आँखे खुल गयी 




क्या मैं सो रहा था  ??????????   नहीं !
क्या था वों सब ........................................................जारी है

 

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>> Thursday, March 4, 2010

मैं अकेला पड़ जाऊ या मार दिया जाऊ पर जब तक मेरा विश्वास जिन्दा है,
मर कर भी मेरी आवाज सुनाई देगी और इससे अच्छी बात ओर क्या हो सकती है |

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